Friday, June 29, 2018

शांत झाला कवी।

कविता आज सुचेनाशी झाली
शब्द ते प्रेमाचे विसरुनी गेले।
काहोर मजवायचे मनी कधीकाळी
शब्द आज सारे गुपचुप झाले।
बडबडणारे ते कवी मन
आज कसे शांत झाले...?
प्रेमाच्या या दुनियेत गप्प
झाला आज हा कवी।
तर... कसा अमर राहिल
तो तिचा प्रेम कवी।
                ✍कवी प्रेम✍
                 २९/०६/०१८
                 ९६०४०००९६९
http://prempawal4000.blogspot.in/

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