*वात्रटिका* ------------------------------------------- कुठं गेलायं कुणास ठाऊक? मेघराजानं आमच्याकडं पाठ भिरवली?
पोटाचा विचार न करता बँकेच्या दारात विम्यासाठी रांग लागली।
प्रेम। ९६०४०००९६९ ३०/०७/०१७
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