थकुन गेलो मी जीवनाला गणित सुटेना तुझं आयुष्या। कधी सुटेनं मला हे गणित? का मरण हेच उत्तर तुझं आयुष्या। प्रेम। 15/04/017 9604000969
Nice poem short but sweet
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